शनिवार, 9 जुलाई 2011

धन्यवाद साइंस ब्लोगर्स एसोसिएशन

साइंस ब्लोगर्स एसोसिएशन, आज ब्लॉग जगत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है, यह ब्लॉग लोगों को विज्ञान की तमाम जानकारियां सरल शब्दों में उपलब्ध करवा रहा है | दिसंबर २००८ से साइंस ब्लोगर्स एसोसिएशन अनवरत रूप से कार्य कर रहा है और आज लगभग ढाई बर्ष बाद भी यह ब्लॉग सक्रिय है तथा अच्छे लेख उपलब्ध करवा रहा है|

मैंने अपना ब्लॉग "योगेन्द्र पाल की सूचना प्रौद्यौगिकी डायरी" दिसंबर २००७ में बना लिया था, पर उस समय एम.टेक. कर रहा था और पढाई का दबाब बहुत ज्यादा था इसलिए ज्यादा लेख नहीं लिखे, 2009 में मुझे सी-डैक में प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद पर नियुक्त कर लिया गया, जहाँ पर इंटरनेट की सुविधा २४ घंटे मिलने लगी तो मैंने प्रतिदिन शाम को दूसरों के लिखे ब्लॉग पढ़ना प्रारंभ किया, कुछ पर अच्छी सामग्री थी कुछ ब्लॉग पर औसत था और कुछ ब्लॉग पर कचरा (दूसरों के धर्म पर कीचड उछालना) था |

जिन ब्लोगों पर कचरा था वो अपने एक ही लेख को ५-६ ब्लोगों पर प्रकाशित कर रहे थे और जिन ब्लोगों पर अच्छे लेख लिखे जा रहे थे वो अपने ब्लॉग को सिर्फ एक ही जगह (अपने ब्लॉग पर) प्रकाशित कर रहे थे, इस तरह के अच्छे ब्लॉग सामजिक विचारों, कविताओं-कहानियों, जीवन शैली के ब्लॉग थे, अतः ज्यादातर कचरे से ही ज्यादा सामना हो रहा था जिससे ब्लोगिंग के प्रति एक प्रकार की घृणा मन में पनप रही थी

एक दिन ब्लोगों पर घूमते-घूमते "चिट्ठाजगत" (जो अब बंद हो चुका है) पर पहुंचा, वहाँ पर ब्लोगों को विषयानुसार प्रकाशित किया जाता था. चिट्ठाजगत के जरिये पहली बार विज्ञान तथा तकनीकी ब्लोगों के संपर्क में आया जिसमे नवीन प्रकाश जी, जाकिर अली 'रजनीश' जी, डा. अरविन्द मिश्र जी तथा रवि रतलामी जी के ब्लॉग प्रमुख थे और प्रतिदिन इनको चिट्ठाजगत के जरिये पढ़ना शुरू किया

ये वह ब्लॉग थे (और हैं) जो ज्ञान बढाने में योगदान कर रहे थे और ब्लोगिंग को सकारात्मक दिशा की और ले जा रहे थे, चिट्ठाजगत का सहारा मिलने से मैं कचरा पढ़ने से पूरी तरह मुक्त हो गया क्यूंकि उसमे लेख के साथ में लेखक तथा चिट्ठे का नाम भी आता था :)

अततः मैंने भी लिखने का निश्चय किया और जनवरी २०१० में एक लेख लिखा, जिसका शीर्षक था "मुझे बहुत जल्दी है" इस लेख को पढ़ने के बाद जाकिर अली 'रजनीश' जीने मुझे "साइंस ब्लोगर्स एसोशिएशन" से लेखक के रूप में जुड़ने के लिए आमंत्रित किया, साइंस ब्लोगर्स एसोसिएशन का मैं पहले से ही मुरीद था और अब तो लेखक के तौर पर जुड़ने का मौका मिला था तो भला कैसे चूकता तो मैंने अपना पहला लेख लिखा जिसका शीर्षक था "गूगल गो" जो काफी पसंद किया गया उसके बाद कई लेख लिखे हालांकि नौकरी, पढाई तथा ब्लोगिंग में सामंजस्य बैठाने के चक्कर में ब्लोगिंग नियमित रूप से नहीं हो पाई

साइंस ब्लोगर्स एसोसिएशन से एक बात मेरे समझ में आई कि ब्लोगिंग की सहायता से कुछ सार्थक किया जा सकता है, ब्लोगिंग की सामर्थ्य भी धीरे धीरे समझ में आई, फिर ब्लोगिंग को मैंने गंभीरता से लेना शुरू किया और योगेन्द्र पाल की सूचना प्रौद्यौगिकी डायरी का वर्तमान स्वरूप आपके सामने है

साइंस ब्लोगर्स एसोसिएशन के जरिये ही मेरे दो लेख प्रिंट मीडिया में स्थान पा चुके हैं जिनके शीर्षक हैं-
क्या कहा वीडियो बुक  तथा
आपदा में डाटा कैसे सुरक्षित रहेगा? आपदा प्रबंधन

साइंस ब्लोगर्स एसोसिएशन पर ही एक दिन अल्पना वर्मा जी की ऑडियो पोस्ट सुनी तो ऑडियो पोस्ट बनाने का विचार मन में आया और ये तीन ऑडियो पोस्ट आयीं

  1. शिकार: एक कहानी, विज्ञान तथा संभावनाएं
  2. प्रोग्रामिंग कैसे सीखें 
  3. टूलबार तथा ब्लॉगर

आवाज अल्पना जी की तरह मधुर तो नहीं है पर मेरे लिए ठीक है :)

साइंस ब्लोगर्स एसोसिएशन से जुड़ने के बाद डा. अरविन्द मिश्र जी से बात करने का मौका मिला जो एक सुखद अनुभव था, यहाँ पर डा. अरविन्द मिश्र जी से क्षमा चाहूँगा क्यूंकि उनके बार बार कहने पर भी मैं साइंस ब्लोगर्स एसोसिएशन पर नियमित लेख नहीं दे पा रहा हूँ, तथा विज्ञान कथा के बारे में तो अभी विचार भी नहीं कर पाया हूँ, असल में पी.एच.डी. में पढाई का काफी दबाब रहता है इसलिए किसी अन्य कार्य के लिए समय नहीं निकाल पाता हूँ

कुल मिला कर साइंस ब्लोगर्स एसोसिएशन ने मुझे-

  1. ब्लोगिंग की ताकत तथा सकारात्मकता का बोध करवाया 
  2. मेरे लेखों की गुणवत्ता बढाने में मेरी मदद की
  3. मेरे लेखों को प्रिंट मीडियो में स्थान दिलाया
  4. ऑडियो पोस्ट से परिचित करवाया 
  5. मेरे मित्रों को अपने ब्लॉग प्रारंभ करने के लिए प्रेरित किया 

जिसने मुझे प्रेरित किया

  1. हिन्दी ब्लॉग एग्रीगेटर बनाने में 
  2. ब्लोगिंग से सम्बंधित कोर्स को अपने कोचिंग सेंटर में प्रारंभ करने में
इन सभी बातों के लिए साइंस ब्लोगर्स एसोसिएशन, जाकिर अली 'रजनीश' जी तथा डा. अरविन्द मिश्र जी को असंख्य धन्यवाद

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ||
    बधाई ||

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  2. योगेन्‍द्र जी, मैं तो इतनी सी बात जानता हूं कि आप अपना काम करिए, लोग एक न दिन आपकी नोटिस ले ही लेंगे।

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. मैं खुद चाहता हूँ आपसे अधिक इंटरैक्शन हो सके मगर हम सभी की अपनी अपनी सीमाएं हैं ...आप बहुत अच्छा लिखते हैं और विषय के जानकार भी हैं -भविष्य में आपसे और योगदान की अपेक्षा है!

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  5. सहज मन की सहज अभिव्यक्ति .आप जैसे योग्य व्यक्ति आयेंगें तो साइंस ब्लॉग सम्मानित महसूस करेगा .आभार .

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  6. वाकई सार्थक ब्लौगिंग और विज्ञान लेखन को प्रोत्साहित करने में SBA का महत्वपूर्ण योगदान है. शुभकामनाएं.

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  7. सच में ब्लोग से बहुत कुच कहा व करा जा सकता है,
    आभार,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  8. मैं इत्तेफाक से इस पोस्ट पर पहुंची हूँ अपन नाम देखा तो हैरान हो गयी..
    आज कल के समय में बहुत कम लोग होते हैं जो कृतज्ञ होते हैं.
    [नहीं तो अधिकतर लोग ऐसे हैं कि काम का मेटर लिया और चल दिए .]
    आप ने जो कुछ सिखा और जहाँ से सिखा उनके प्रति आभार व्यक्त किया.बड़ी बात है.
    आप अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता देते हुए ही बाकि सब कार्य[ब्लॉग्गिंग] करें .क्योंकि ब्लॉग्गिंग समय मांगती है .

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    मेरी बहुत सी शुभकामनाएँ.

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