शनिवार, 26 मई 2012

बबा तुम पढे किन नाहीं?

मैं: बबा तुम पढे किन नाहीं?

बबा: लला, हमारे पिता ने हमें स्कूल में डालो थो जब हम हथे ऐं देखौं छ: बरष के। स्कूल हमाए घर से करीब -करीब हुइए ऐं देखौ 4 कोस भर माने 12 किलोमीटर। भरी दुफारी में हम अपने से बडे लड़कन के संगें 2 दिना गए। तीसरे दिना हमें आतु रहो बुखार तौ हमारे पिताजी हमें लै कै गए ऐं देखौ... भगत के ढिंगा। भगत रहो जात को पडिंत बानै कही कि तुम्हें बिध्या फलि नाही रही है। फिर पिता की घांई चितए कै बोलो कि जे लला पढिबे के ले नाहीं बनो है बिध्या पडिंतन के ले बनी है, अपने लला कौ जो जिंदा रखबौ चाहौ तौ पढाई छुडबाऔ और अबै की परेशानी के लै हम हवन कर दिऐं, पर अब जो तुमने ऐसो करो तौ हम जाए बचाए नाहीं पइऐं।

बस लला हम अनपढ़ई रहि अए।

1 टिप्पणी: