सोमवार, 28 जून 2010

नारी: ताड़ना की अधिकारी?

मैंने कई लोगो से यह सवाल पूछा है पर आज तक किसी भी जबाब से संतुष्ट नहीं हुआ, तो मैंने सोचा कि क्यूँ ना आप से पूछ लिया जाये |
एक दोहा है, आप सभी ने सुना होगा, जाने माने संत ने लिखा है तो इस के खिलाफ बोलना भी ठीक नहीं लगता, हो सकता है कि वो कुछ और अर्थ देना चाहते हो पर मेरी छोटी बुद्धि में तो सिर्फ सीधी बात समझ में आती है, दोहा इस प्रकार है -

ढोल, गंवार, शुद्र, पशु, नारी सकल ताड़ना के अधिकारी 

जिसका अर्थ मेरी नज़र में है- ढोलक, अनपढ़ (जिसको कोई अक्ल ना हो), शुद्र यानि छोटे कार्य करने वाले लोग (इसका अर्थ चोर, गुंडे, बदमाश जैसे मनुष्यों से हो सकता है), जानवर तथा महिला (स्त्री) सिर्फ और सिर्फ प्रताड़ना के अधिकारी है |

अब जहाँ तक मेरी बात है में अनपढ़ तथा महिला को सकल ताड़ना का अधिकारी नहीं मान सकता, मैं सोच ही नहीं सकता, पर ऐसा भी हो सकता है कि मैं इसका अर्थ गलत निकाल रहा हूँ |

यदि आप में से किसी को इसका सही अर्थ पता हो तो जरूर लिखे - धन्यवाद