एक गंभीर मामले में मैं सभी महिलाओं की राय लेना चाहूँगा, मामला शुरू हुआ है
नीतू बांगा की पोस्ट
लड़कियां ही खाना बनाना क्यों सीखें? से
उन्होंने अपनी पोस्ट पर सवाल एकदम सही उठाया है और मैं भी इससे सहमत हूँ कि लड़कों को भी खाना बनाना सीखना चाहिए, पर कमेन्ट उस सवाल को एक नया रूख दे गए और जो मेरे सामने आया वह अचंभित करने वाला है-
उनको मैंने कमेन्ट दिया कि
मुझे लगता है नीतू जी की आपको किसी ने इस बात पर बहुत डांटा है, उसके बाद आपने यह लेख लिखा है :)
वैसे आपकी बातों से मैं सहमत हूँ, लड़कों को खाना बनाना आना चाहिए
पर मुझे खाना बनाना आने पर भी मैं तब तक खाना नही बनाऊंगा जब तक मेरी पत्नी भी कमाना शुरू ना कर दे, यदि वो मुझसे यह चाहे की मैं खाना बनाने मे सहयोग करूँ तो उसको कमाने मे सहयोग करना होगा...
इस बात पर नीतू जी असहमत हैं, जाहिर है उनका मानना है कि मैं नौकरी भी करूं और घर पर आकर खाना भी बनाऊँ भले ही मेरे पत्नी कमाने में मेरा सहयोग ना करे, या क्या बात हुई?
मैं भी स्त्रियों के सामान अधिकार की वकालत करता हूँ, यह आप मेरे दोनों ब्लोगों पर "नारी" ब्लॉग पर मेरे कमेंटों में देख चुके होंगे, पर अब यहाँ पर बात वेवकूफी तथा जिद की है, जिसकी मैं वकालत नहीं कर सकता-
मैं इन तीन परिस्थितियों में सहमत हूँ-
- पति कमाए तथा पत्नी घर चलाने की जिम्मेदारी संभाले
- पत्नी कमाए तथा पति घर चलाने की जिम्मेदारी संभाले
- दोनों कमाएँ तथा दोनों ही घर की जिम्मेदारी भी संभालें
पर ये कहाँ की बात हुई कि महिला को बराबर का अधिकार देने की बात कह कर
महिलाएं घर का काम भी ना करें और कमाएँ भी नहीं?
पिछले कुछ दिनों से शादी के लिए लड़कियां तलाश रहा हूँ और कुछ ऐसे ही वेहद पेचीदा मामले मेरे सामने आये हैं, उनको आपके सामने रखना चाहता हूँ और आप सभी की (खास तौर पर महिलाओं की राय चाहता हूँ)
मामला १- एक लड़की ने कहा कि वो शादी के बाद साड़ी नहीं पहनेगी (कहीं भी नहीं, यानि गांव में भी नहीं, ससुराल में भी नहीं और मेरे साथ रहने पर भी नहीं)
मेरे विचार- क्या पहनना है और क्या नहीं वह आपको तय करना है दूसरे को नहीं पर सिर्फ तब तक जब तक मेरे साथ अलग रह रहे हो, कभी-कभी मेरे घर और गांव जाना ही होगा तब साड़ी ही पहननी होगी- भले ही मेरे माता-पिता कुछ और पहनने की इजाजत क्यूँ ना दे दें)
मामला २- एक लड़की का पहला सवाल था कि कहाँ रहेंगे? मैंने ज्यादा जानना चाहा तो पता चला कि वो कभी भी मेट्रो सिटी से बाहर जाना पसंद नहीं करेगी, यानि यदि उसी के शब्द कहूँ तो "मैं कभी भी गांव नहीं जाऊँगी चाहे कुछ भी क्यूँ ना हो जाए, और शायद आगरा (मेरा घर) भी नहीं"
मेरे विचार- ऐसे मामलों में शांत रहना ही ठीक है, वक्त सब कुछ सिखा देगा| वैसे भी ऐसी मूर्खता भरी जिद पर क्या कहा जा सकता है?
मामला ३- एक लड़की का कहना था कि मैं घर के काम नहीं जानती हूँ और सीखना भी नहीं चाहती, जब मैंने पुछा कि आप जॉब करना चाहतीं हैं तो उसका कहना था कि "जॉब करने के लिए बस, लोकल ट्रेन, ऑटो में धक्के खाने पड़ते हैं जो मुझे पसंद नहीं"
मेरे विचार - ऐसी लड़की से शादी करने से बेहतर है कुंवारे रहो
मेरे विचार छोडिये,
मैं तो इस मामले में महिलाओं के विचार जानना चाहता हूँ, उनके भी जो शादी-शुदा हैं, उनके भी जिनकी अब बहुएं आ चुकी हैं और उनकी भी जो बहुत जल्द किसी के घर की लक्ष्मी बनाने जा रही हैं|
अपनी राय जरूर रखें - धन्यवाद|