शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

भारतीय युवा, आदरणीय श्री अन्ना जी के साथ हैं

मैं उन लोगों को समझाना चाहता था कि इस देश के युवा निकम्मे नहीं हैं, जिन्होंने युवाओं के वर्ल्ड-कप जीतने का जोरदार जश्न मनाने पर कहा कि युवाओं को देश की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए| पर मेरा मानना यह है कि काम से सामने वाले का मुंह बंद करो बातों से नहीं|
कल 8 / April / 2011 को IIT-mumbai के सभी छात्र-छात्राओं ने काली पट्टी बांधकर, हाथों में मोमबत्ती लेकर आदरणीय श्री अन्ना हजारे जी का समर्थन किया| मैं ज्यादा नहीं बोलना चाहता सिर्फ फोटो तथा वीडियो देखिये -


11 टिप्‍पणियां:

  1. अभी तक तो अन्ना जी के साथ सारा देश है| जिस में IIT के छात्र भी सामिल हैं|

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  3. dekho ye abhiyaan khaan tak safal hota hai rajniti hai n jane kab kya mod le le

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  4. बहुत बढ़िया पोस्ट योगेन्द्र जी। सही कहा आपने।

    अब ज़रा एक टिप्पणी का मजा लीजिये हा हा:-

    आदरणीय मदन शर्मा जी,
    जमाल बाबू से आप बहस में ना जीत पायेंगे। कारण ये है कि जमाल जी हिन्दी ब्लॉगजगत में मूर्खता और बेवकूफ़ियों का सबसे बड़ा नगाड़ा हैं। और आप तो न नगाड़ेबाज हो न अखाड़ेबाज, मेरी तरह। ये महाशय सिर्फ़ नगाड़ेबाज और अखाड़ेबाज दो ही लोगों से घबराते हैं। मेरे ब्लॉग पर आप इनकी दीन हीन दशा हमेशा देख सकते हैं। वहीं पर ये अपनी टोपी सहित पट्ट पाये जाते हैं।
    शर्मा जी आपको स्मरण कराता हूँ, आपने इनसे मिलती जुलती एकमात्र वस्तु इस असार संसार में देखी होगी। मालुम क्या ? ही ही

    बिल्ली का गू ।
    हा हा
    जो ना लीपने का होता है ना ही पोतने का। एम आय राँग ?


    लो जमाल जी लो धोबी पछाड़।
    आप कहते हो:-
    (@ Rajpurohit ji ! हनुमान जी को भगवान तो मेरे पूर्वज श्री रामचंद्र जी ने भी नहीं माना भाई .)

    जवाब:-
    रामजी, आप जैसे बेसिरपैर दिमाग वालों के पूर्वज कहाँ से हो गये ? आप या आपके पूर्वज कन्वर्टेड याने मार मार मुसलमान बनाये गये थे क्या ?
    और सुनो जब राम ने कहा कि तुम मम प्रिय भरतहिं सम भाई तब ही वो भगवान हो गये क्योंकि भगवान का भाई भगवान अण्डर्स्टुड।
    आपके यहाँ तो अल्ला मियाँ सण्ड मुसण्ड याने सिंगल माने जाते हैं शायद। अब जब उनकी खुद किसी से रिश्तेदारी नहीं तो बताइये आप से क्या होगी यू टोपीबाज मामूली इंसान ?
    इसीलिये शायद अल्ला मियाँ से निराश होकर आप भगवान राम को अपना पूर्वज बतलाने लग पड़े हैं। हो जाता है अक्सर निराशा में ऐसा। मैं और मदन शर्मा जी आपका यह दुख समझ सकते हैं।

    जमाल जी नं २,
    आप कहते हो:-
    (मदन शर्मा जी ! भगवान का जो अर्थ आप बता रहे हैं उसे आप संस्कृत के किसी शब्दकोष में तो दिखा नहीं सकते , आप जैसे लोग खुद ही किसी भी चीज़ को भगवान बना लेते हो और किसी भी शब्द का कुछ भी अर्थ घोषित कर देते हो. आपको अपनी बात के पक्ष में प्रमाण देना चाहिए. आपकी बात सही होगी तो मैं आपकी बात मान लूँगा.)

    यार जमाल बाबू, आप शब्दकोष (लुगत) भी मुसलमानी मोहल्ले के मीना बाजार से खरीदते हो। वहाँ कहाँ मिलेगा इसका अर्थ। अरे जब सारी की सारी Earth ही आप जैसे व्यर्थ (टोपीबाज मुल्लों) जो दर‍असल यह छुपाने के लिये पहनी जाती है कि इस टोपी के नीचे कोई खोपड़ी (दिमाग) ही नही है) लोगों से भरी पड़ी हो तो तब ऊपरवाले पर बह्स करने का क्या अर्थ ?
    हा हा और आपने जब अपने वालिद की बात नहीं मानी कि बेटा और कोई भले पैदा हो तो तू मत पैदा हो जाना, तब भी आप पैदा हो ही गये, तो शर्मा जी का दिया कोई भी प्रमाण क्या मानेंगे ?
    ही ही।

    जमाल बाबू नं ३
    आप कहते हो:-
    (@ मदन शर्मा जी ! आप संधि-विच्छेद करके जो अर्थ जबरन निकाल रहे हैं उसका आधार और स्रोत क्या है ?
    किसी ग्रन्थ का हवाला तो दीजिये)


    देखो जी, संधि-विच्छेद (खतना) के मास्टर तो आप ही लोग हो इसलिये इसका और स्रोत वही समझ लीजिये और रही बात ग्रन्थ की तो वो इस्लाम में होता है क्या ? आय डोण्ट थिंक सो।
    हा हा

    जमाल बेकाबू नं ४
    आप कहते हो:-
    (@ शर्मा जी ! आपके पास समय नहीं है तो हम तो आपको बुलाने नहीं गए थे . हमारे पास आये थे तो सोचकर आते कि अब वो ज़माने नहीं रहे कि जब लोग पंडत की बात इसलिए मान लेते थे कि पंडत जी कह रहे हैं . लोगों के इसी भोलेपन का फायदा उठाकर आपने जानवरों को इंसानों का भगवान घोषित कर दिया . घोर पाप किया पंडत जी आप जैसे लोगों ने.)

    इसके जवाब में एक शेर ही काफ़ी है

    शैख ने मस्जिद बना मिस्मार बुतखाना किया
    तब तो एक सूरत भी थी अब साफ़ वीराना किया

    जमाल बाबू नं ५
    आप कहते हो:-
    (विधवाओं की दुर्दशा के पीछे भी यही कारण है , जो कि इस पोस्ट का विषय है . लेकिन इस्लाम के प्रभाव में आकर विधवाओं की सोच काफी बदल गयी है. अब वे भी जीना चाहती हैं .
    अगली बार जब आप आयें तो समय निकलकर और प्रमाण ढूंढ कर ज़रूर लायें)

    सही कहा आपने इस्लाम के प्रभाव में आकर विधवाओं की सोच काफ़ी बदल गई है याने वो विधवा की जगह बेवा हो गई हैं है ना ?
    आपकी वो मीना बाजार वाली लुगत में देखना जरा ?
    हा हा।
    और सुनिये लोग तो आप को ही समय से निकाल देने के मूड में हैं। अब मत पगलाओ डॉ. साहब, ऐसे में तबियत और फ़ितरत और किस्मत सब की सब बिगाड़ लोगे। आपका सबसे अजीज दोस्त हूँ तो इतना ही कहता हूँ कि मेरी टिप्पणियाँ मिटाने की जगह उन्हें दिल और मन लगाकर पढ़ डालो तुम्हारी जिंदगी तर जायेगी और ये नजर के पर्दों की धूल अपने आप झड़ जायेगी।
    अपने नाम को भी उसी लुगत में देख लेना और फिर सोचना कि क्या तुम्हारे काम का भी वही अर्थ है जो तुम्हारे नाम का होना चाहिये ?
    चलता हूँ।
    बाय बाय भाय

    मजा आया ना पाल साहब। आपको कहीं जमालजी के यहाँ देखा था तो आपसे यहाँ मिलने चला आया। सोचा आपको ये टीप पढ़वा दूँ क्योंकि ये जमाल बाबू तो मिटा मिटा देते हैं बार बार। हा हा।
    हैव अ नाइस डे।

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  5. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया पढ़ा देखा भी ] अच्छा लगा 'पाबला जी से फोन पर बात भी हो गई मेरी समस्या का समाधान भी हो गया .असल में रिटायर्मेंट के बाद तो कंप्यूटर सीखा है ज़रा सी उलझन में बैठ कर रह जाताहूँ की अब क्या करूं ] आपको बहुत बहुत धन्यबाद

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  6. मोमबत्ती वालों से सावधान रहना चाहिए क्योंकि मतदान के समय इनकी बुद्धि का दीया बुझ चुका होता है।

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  7. काश हम सिर्फ कहने की बजाय वैसा आचरण भी करते.

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  8. 4 जून 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान में स्वामीजी स्वयं जन हित के कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर अनिश्चित कालीन अनशन पर बैठेंगे । उनका साथ देंगे भारत स्वाभिमान के जांबाज़ कार्यकर्ता शिष्य । इस आंदोलन मे आप अपना सहयोग दे ।

    अनिश्चित कालीन आनशन के मुद्दे: -
    1) 500 व् 1000 के नोट बंद करवाने हेतु
    2) भ्रस्टाचार , बलात्कार , मिलावट करने वालो के खिलाफ सख्त कानून बनवाने हेतु
    3) विदेशो में जमा भारत का 400 लाख करोड रूपये काला धन वापस लेन हेतु
    4) जिन लोगो ने भ्रस्टाचार कर के धन लुटा है उनसे वापस लेने का क़ानून बनवाने हेतु http://www.bharatyogi.net/2011/04/4-2011.html

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  9. dosto hm sbhi ko apna shyog dena hoga tbhi kuch ho skta he

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  10. योगेन्द्र पाल जी अच्छी प्रेरक पोस्ट .

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